1 January 2019

लावापानी जलप्रपात, लोहरदगा.



झारखण्ड में अनेक ऐसे अद्भुत लेकिन अज्ञात पर्यटन स्थल हैं ,जिन्हें विश्वपटल पर लाये जाने पर राज्य में पर्यटन का आशातीत विकास निस्चित है| ऐसा ही एक पर्यटन स्थल राज्य के लोहरदगा जिले में स्थित है |इसे लावापानी जलप्रपात के नाम से जाना जाता है, जो लोहरदगा जिला मुख्यालय से 38 कि०मी०, रांची से 112 कि०मी०, नेतरहाट से 116 कि०मी० तथा लातेहार से 25 कि०मी० की दुरी पर स्थित है| यह मानवीय आबादी से दूर सघन वनों व पर्वतों से आवृत एक विशाल जलप्रपात है| जिसका ऊँचाई के संदर्भ में झारखण्ड में संभवतः दूसरा स्थान होना चाहिए, परन्तु अत्यंत दुर्गम स्थान पर अवस्थित होने के कारण दुर्भाग्यवश आज तक इसकी वास्तविकत उच्चाई मापे जाने का कोई औपचारिक प्रयास ही नही किया गया | इस जलप्रपात की विशेषता यह है की इसका पतन लम्बवत न हो कर चरणबद्ध रूप में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर होता है, इस में करीब 12 सोपान हैं प्रतेक की उच्चाई तथा संरचना व आकृति में भिन्नता के कारण उत्पन्न दृश्य पृथक-पृथक है , जो न्यूनतम 10 फिट से लेकर अधिकतम 80 फिट अथवा औसतन 30 फिट है| उपग्रह से प्राप्त चित्रों तथा आधुनिक तकनीको के प्रयोग द्वारा व्यक्तिगत विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे है की करीब 268 मीटर कर्ण वाला यह जलप्रपात 60०-70० का कोण बनाते हुए अनुमानतः लगभग 110 मीटर की उच्चाई से गिरता है |
यहाँ का दृश्य ऐसा विचित्र, हरितिमायुक्त, प्राकृतिक कोलाहलपूर्ण, विभिन्न पौधों व पुष्पों की मधुमय सुगंधयुक्त, आदिम जनजातीय सभ्यता का साक्षी, तथा ऐसी अनेक अज्ञात प्राकृतिक संरचनाओं का केंद्र है जो अन्यत्र दुर्लभ है |
लावापानी जलप्रपात आगे चल कर गला नदी के नाम से जाना जाता है, जिसकी कुल लम्बाई लगभग 30 किलोमीटर है| बोनरोबार से उद्गमित हो कर यह नदी उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होती हुई अपनी सहायक नदी खिखिर से मिल कर अंततः लातेहार रेलवे स्टेशन के निकट तुपु खुर्द नामक स्थान पर औरंगा नदी में समाहित हो जाती है |
यह जलप्रपात चारो ओर से हरे-भरे व ऊंचे पहाड़ों से घिरा है|इसका सर्वोच्चा सिखर दुगो (1000+ मीटर ) उक्त निर्झर के पश्चिम में स्थित है| अन्य सिखारों में अम्बा पारा (900 मीटर ), सर्प्जन्घा पहाड़ (800 मीटर ), कुरसे (700 मीटर ), मदनपुर (800 मीटर ) तथा मक्का का पहाड़ (700 मीटर ) आदि हैं |
जनजातीय क्षेत्र में स्थित लावापानी के आसपास लाल मिट्टी पाई जाती है |

साथ ही यह क्षेत्र बॉक्साइट खनिज के लिए प्रसिद्ध है |
यह स्थल सभी प्रकार के प्रदूषणों एवं मानव निर्मित अपशिष्ट पदार्थों से प्रायः मुक्त अर्थात निर्मल है |
यहाँ से निकटतम चिकित्सालय, बाजार तथा पुलिस की सुविधाएँ लोहरदगा जिला मुख्यालय में उपलब्ध हैं |
कुछ सामान्य सूचनाएं:-
(1) कैसे जाएँ :- जिला मुख्यालय लोहरदगा से 38 कि०मी० की दुरी पर पेशरार प्रखण्ड में अवश्थित है | जिला मुख्यालय से केकरांग, पेशरार होते हुए लावापानी सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है |
यदि लातेहार से जाना चाहें तो -लातेहार → डेमू→ मक्का→अम्बपावा →लावापानी |
(2) कब जाएँ :- अक्टूबर से जून

(3) कहाँ ठहरें :- दिनों दिन लौटने का प्रयास करें अथवा लोहरदगा जिला मुख्यालय स्थित विभिन्न होटलों से संपर्क किया जा सकता है |

(4) संपर्क :- latehartourism@gmail.com, +919470938399

डाटम पातम जलप्रपात लातेहार.

डाटम पातम जलप्रपात :- जाने अनजाने पक्षिओं की अजीबोग़रीब आवाजों के बिच शांत वन प्रदेश मानसिक थकान में राहत पहुचाने वाला हैं | वृक्षों के झुरमुट के बिच से झाकते हुए सूर्य की सुनहरी रश्मियों द्वारा भूमि पर अद्भुत बेलबूटो अथवा नक्काशी का निर्माण किया गया है | ऊपर से सीतल मंद सुगंधित पवन प्रवाहित होकर अंतरात्मा में आनंद की हिलोरे जगा रही हैं सो अलग | पर अभी तो वो आया भी नहीं है , बस दूर से उस परम सुहावने उपवन के बिच से एक कर्ण प्रिय आवाज बरबस अपनी ओर खिचे जा रही है | ये रही वो पुण्यसलिला और वो रहा हमारा लक्ष्य शिरोमणि जिसके लिए हम इतनी दूर लातेहार से तुबेद - डीहिमुरूप - नवादा - हेरहंज -इनातु व तत्पश्चात ऊबड़ खाबड़ कच्चे रास्तों व झाड़ियों से आवृत सकरी पगडंडियो का दुस्वार गुजार सफ़र तय कर के जिला मुख्यालय से 28 मिल दूर स्थित इस महा दुर्गम, अल्पज्ञात, अवसंरचनात्मक विकास शून्य तथापि परम रमणीय आनंद लोक से संसार के परिचय में वृद्धि कराने की विवशता वश चले आये | ...ये डाटम पातम जलप्रपात नहीं तो और क्या है ? यह 33 किमी लम्बी इसी नाम वाली नदी तथा अमानत नदी के संगम से पांच कि०मि० पहले स्थित है, जो पश्चिमाभिमुख रूप में पतित होती है | लगभग 50 फिट की उच्चाई से 10-15 फिट की चौड़ाई में श्वेत जलधारा के रूप में गिरते हुए यह अद्भुत प्राकृतिक दृश्य का निर्माण करता हैं | ... कितना पवित्र ...कितना साफ - सुथरा... कितना  अनोखा ... महा प्रसिद्ध डाटम पातम जलप्रपात की जय | कैसा शीशे जैसा निर्मल जल है इस निर्झर व पास ही इस से निर्मित सर्व परितापहारी जल कुंड का | कैसा भी अवसाद हो इस पवित्र वातावरण के प्रभाव में आते ही छूमंतर हो जाये | किन्तु स्थानीय वन माफिया द्वारा भीसन वन विनाश व वैश्विक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग के फलस्वरूप पर्यावरण को पहुँच रही अपूर्णीय गंभीर छति के कारण आखिर कब तक बचा रह पायेगा ...? जब तक की यह अद्भुत पारिस्थितिक तंत्र अपने मूल स्वरूप में स्थित है एक बार तो चले आओ | विकाश की अंतहीन प्रतीक्षा मत करो यह  मत समझो की सभी आधारभूत सुविधाए उपलब्ध हो जाएंगी तभी हम झरने को अपना दर्शन देंगे | कल करे सो आज कर, आज करे सो अब ... मौका भी है और दस्तूर भी नव वर्ष के अवसर पर जलप्रपात के पास ही स्थित हनुमान व महादेव जी के श्री विग्रहों पर कुछ पत्ते, फूल, फल, जल अदि समर्पित कर आओ.... |


copyright:- Govind Pathak
Latehar Tourism
Contact:- https://latehartourism.com
9470938399

29 January 2018

Koel View Point, Netarhat, Latehar.

कोयल व्यू पॉइंट लातेहार .



नेतरहाट बस स्टैंड से लगभग दो किलोमीटर दूर चीड़ के वनों  के बीच स्थित यह स्थान नेतरहाट के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है| कोयल नदी इस स्थल से 10 किलोमीटर की दुरी पर घाटी के नीचे प्रवाहित होती है | जब पर्वत शिखरों के पीछे से उगते हुए सूर्य का प्रतिबिम्ब जल धरा पर पड़ता है तो अविस्मरणीय दृश्य का निर्माण होता है | चांदनी रात में नदी की रजत जलधारा आकर्षण का केंद्र होती है |




लावापानी जलप्रपात, लोहरदगा.

झारखण्ड में अनेक ऐसे अद्भुत लेकिन अज्ञात पर्यटन स्थल हैं ,जिन्हें विश्वपटल पर लाये जाने पर राज्य में पर्यटन का आशातीत विकास निस्च...