मून बाबा मंदिर लातेहार:-
कब/ कैसे जाये :- वर्षा ऋतू को छोड़कर कभी भी विशेषतः रामनवमी के आसपास प्रातःकाल यहाँ के लिए प्रस्थान कीजिए | प्रायः लोग लातेहार नगर से स्टेशन रोड, व फिर परसही रोड के द्वारा निजी वाहन से औरंगा नदी तट तक पहुच कर सामान्य स्थिति में वाहन सहित नदी पार कर बेंदी नमक ग्राम तक पहुचते हैं | वहाँ से पश्चिम की ओर जाने वाली 1 किमी लम्बी कच्ची सड़क को पकड़ कर आगे बढ़ना चाहिए रास्तें में एक दो छोटे जलाशय मिलेंगे इसके बाद एक मध्यम उच्चाई की 'बचरा' पहाड़ी आती है, जिसे पार करने में करीब 25 - 30 मिनिट लग जाता है | तत्पश्चात फौरन एक छोटी सी बरसाती नदी को पार करने पर दक्षिण दिशा को जाने वाली एक पगडंडी मिलती है, जिससे थोड़ी दूर जाने पर दाएं व बाएं ओर जाने वाले रास्तें मिलेंगे उनमे नहीं जाना है , सीधे आगे बढ़ते रहिये | यहीं से गोटांग पहाड़ी की 2-3 km लम्बी धीमी चढ़ान शुरु हो जाती है जिसका अंत इसकी तलहटी में स्थित इंद्र दावान झरना के पास पहुच कर होता है | उक्त झरना में स्नान करने के पश्चात् जलाभिषेक के लिए वहीं से पानी ले कर नंगे पाव पहाड़ी की खड़ीं चढ़ाई चढ़ते है | घने वृक्षों , लताओं, श्वेत पुष्पों, दुर्गम पथरीले मार्गों , पशुओं पक्षियों, सर्पों मनमोहत प्राकृतक सुगंधों व सूर्योदय के शानदार नजारों का आनंद लेते हुए करीब 45 मिनिट में गंतव्य गुफा तक पंहुचा जा सकता है | झारखण्ड के अमरनाथ में आपका स्वागत है | वाह क्या दृश्य है| जरा चारो ओर दृष्टिपात तो कीजिये कैसे सिर के उप्पर वृक्षों की डालियां व महाबीरी ध्वज लहरा रहें हैं दूर हरी घाटियों में औरंगा नदी किस प्रकार प्रवाहित हो रही है | अब सीधे पवित्र कन्दरा में प्रवेश करें यही मून बाबा का मंदिर है, जो करीब 10 फिट लम्बा , 7 फिट चौड़ा एवं 8 फिट उच्चा है | गर्भगृह में तीन प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं जिनका दर्शन व फल ,फूल अदि विभिन्न द्रव्यों द्वारा पूजन करने के लिए श्रद्धालु पंक्तिबद्ध हो कर अनुशासित रूप से आगे बढ़ते हैं | अपनी पूजा समाप्त कर मंदिर के प्रांगन में कुछ समय मानसिक शांति के लिए विश्राम करते हुए बिताना चाहिए|
फिर चाहें तो 10-15 मिनिट की खड़ी चढ़ाई चढ़ कर पहाड़ी के शिखर पर पहुच सकतें हैं | वहां से चारो ओर के विहंगम दृश्य का साक्षात्कार यादगार रहेगा | यह पुर्णतः अनछुआ प्रदेश है यहाँ आग , प्लास्टिक तथा अन्य अप्सिस्ट पदार्थों द्वारा प्रदूषण फैलाने के जघन्य अपराध से बचें | अब वापसी का अभियान आरंभ होता है, याद रहे पहाड़ी से निच्चे उतरना चढ़ने से अधिक चुनौती पूर्ण होता है, अत्यंत सावधान रहना अनिवार्य है | यात्रा के समस्त अनुभवों को कैमरे में कैद करना ठीक रहेगा ....